निरीह प्राणी की बलि
निरीह प्राणी की वली
विचार या सोच की वह धारा जो किसी भी मनुष्य को
जिस किसी भी कारण से किसी दूसरे निरीह प्राणी की
जान लेने के लिये उकसाती है , इस उकसावे में उसे
किसी शौर्य या किसी शुभ की पूर्ति की एहसास कराती
है वह सिर्फ घृणित पाश्विकता और निंदनीय अमानवीयता
की ही प्रतीक हो सकती है किसी बड़े उदेश्य की नही ।
जो धर्म समूह , जो मजहब के नाम पे , जो जाती वर्ग और
जो राजनितिक कर्मी ऐसी घटनाओं में भी अपने किसी उदेश्य
की पूर्ति देखते है उन्हें आदमखोर जानवर कहना भी जानवर
का अपमान है ।
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