जिस्म का व्यपार एक जघन्य अपराध है
जिस्म का व्यपार जघन्य अपराध है
औरतो के जिस्म को जीन्स में बदलने वाली धन लोलुपता और लिप्सा की संस्कृति ने जब देह व्यपार के मामले में इस्लामिक दुनिया तक में छेद कर डाले है तो बाकी की तो विसात क्या । यहां इस्लाम का उल्लेख इसलिये कि दुनिया का एक मात्र मजहब है जहां यौन अपराध के लिये कठोरतम दंड यहां तक मृत्यू दंड की भी व्यवस्था है । मनुष्यता विरोधी विश्वव्यापी जघन्य अपराध भयावत को समझा जा सकता है ।जो भौतिक प्रगति - समृद्धि इंसान की रूह और जिस्म के व्यपार को न रोक सके वह प्रगति - समृद्धि नही है बल्कि एक छलावा है जिसे उसके असली स्वरूप में पहचाने की जरूरत है ।
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