आज के युवाओं
दोस्तों ,
आजकल बारह महीनों में बारह तरीको से प्यार को अंजाम देने वालेयुवा वर्ग को क्या होता जा रहा है पता नही ! टोका टोकी इसे बिल्कुल
नापसंद है, भले ही आर्थिक मन्दी की वजह से सिलिकन वैली का
नशा उतर गया हो लेकिन युवाओ के दिलो दिमाग से पब और रेव का
उतरना मुश्किल है ।रात भर की मस्ती ,नशा यौवन उन्माद व गलबहियां
करते बेफिक्र जोड़े जिस सनसनी को स्वीकार कर चूके है उन्हें उससे बाहर
निकालना किसी आग से गर्मी को बाहर करने की मानिंद है ।विदेशी स्टाइल ,
व्यंजनों और रईसजादों की रईसाना रहन सहन युवाओ की सोच ही बदल
दी है ।आज के युवा डेल्ही बेली के उस शब्द कोष की तरह हो गए है अपशब्दों
से भर पड़ा है ।जहां दो सकेंड के ही दृश्य में तोड़ टूटती सासों के बीच वेश्या
संस्कृति को उघाड़ कर रख देते है ।ऐसी माहौल भारतीय संस्कृति के लिये
बेहद ही घातक है ।
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