जनता कष्ट से झेलती महंगाई की मार
जनता कष्ट झेलती महंगाई की मार से
जनता कष्ट से झेलती मंहगाई की मार ,
रोजमरे की खर्च से सभी की है खस्ता हाल ,
आसमान छूने लगे बाजारों के माल ,
देश चूल्हाभाड़ में जाय मरे भारत के सब लोग
नेता मस्ती काटे खाकर छप्पन भोग
राजनीती के चाल में हुआ देश बर्बाद
कुर्सी व्यपार में होता वाद - विवाद
पेट्रोल चीनी महंगी हुई रेल भाड़ा चढ़ा आकाश
कौरप्रेट के शतरंज का हुआ न पर्दाफाश
पाँच साल का वक्त है लूट सके तो लूट
हार गए यदि वोट में जायेगी कुर्सी छूट
क्या जाने फिर कब आएगा मौका अपने हाथ
बुरे वक्त में छोड़ दे उधोगपती भी अपना साथ
कैसा यह स्वराज्य है यह कैसा जनतन्त्र ?
चुप सभी है साधके ऐसा फेका मन्त्र !
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