पूछना है अब हमे सरकार से
पूछना है प्रश्न सरकार से
पूछना है प्रश्न सरकार से ,
कौन डरता है भष्ट्राचार से ,
चोर की यारी है थानेदार से ,
डॉक्टर चूसे लहू बीमार से ,
मंत्री जी लग रहे मक्कार से ,
संतरी भी चल रहे कार से ,
नोट नकली मिल रहें बाजार से,
बट रहे बैंक कोषागार से ,
जुड़ गया किर्केट जुआं व्यपार से ,
फर्क क्या इनको जीत या हार से ,
मिल रही है पत्नी पति के यार से ,
घर की हालत तंग है तकरार से ,
धर्म रक्षा हो रही है तलवार से ,
मिट रही है इंसानियत संसार से ,
डर है तो घर में छुपे घर के गद्दार से ,
कह रहे है खतरा सीमा पर से ,
सत्यवादी पड़े है बेकार से ,
झूट बोलो सब मिलेंगे प्यार से ,
शब्द लगते है बड़े खूंखार से ,
डर अब हमे लगता है अखबार से ,
पूछना है प्रश्न अब हमे सरकार से ,
कौन डरता है भष्ट्राचार से ।।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें