घूंघट आँचल कुमकुम काजल गजरा
नारी की गरिमा
घूंघट , आँचल , कुमकुम , काजल , गजरा , चूड़ी , कंगन नही सुहाते ठीक किन्तु क्यों करती देह प्रदर्शन निकल पड़ी हो अर्धनग्न सी सर पर छतरी तान ।लोक लाज मर्यादा का कुछ तो रखा होता ध्यान , गरिमा अपनी भूल गयी क्यों बोलो क्यों हो मौन नारी की छबि धूमिल करती बतला तू है कौन ?
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