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हम अपने बलिदानियों को विस्मृत कर चुके

by दिसंबर 25, 2015
हम अपने बलिदानियों को विस्मृत कर चुके         भोगवादी और भौतिकवादी संस्कृति से घिरे हम आज तक यह विस्मृत कर चुके है कि हमारी स्वतन्त्रता...Read More

अनाचार के विरुद्ध

by दिसंबर 25, 2015
अनाचार के विरुद्द जिस देश और समाज में अनाचार और अन्याय के विरुद्ध गुस्सा मर जाय वहां फिर किसी चाणक्य को नन्द के कुशासन के विरुद्ध शिखा ...Read More

जीवन एक समर भूमि है

by दिसंबर 24, 2015
यह दुनिया एक समर भूमि है यह दुनिया आदमी के मन की दया पर नही बल्कि उसकी कलाई की ताकत पर चला करती है ।आदमी की दुनिया में चल रही सारी दौड...Read More

कोई दीवाना समझता है कोई पागल समझता है

by दिसंबर 24, 2015
कोई दीवाना कहता है कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है मगर धरती की बैचैनी तो बस बादल समझता है मैं तुमसे दूर कैसे हूँ तू मुझसे दूर ...Read More

मुहब्बत

by दिसंबर 24, 2015
मोहब्बत एक एहसासो की पावन कहानी है  मोहब्बत एक एहसासो की पावन कहानी है कभी कबीरा दीवाना है कभी मीरा दीवानी है यहां सब लोग कहते है मेर...Read More

निरीह प्राणी की बलि

by दिसंबर 24, 2015
निरीह प्राणी की वली विचार या सोच की वह धारा जो किसी भी मनुष्य को जिस किसी भी कारण से किसी दूसरे निरीह प्राणी की  जान लेने के लिय...Read More

नंगे स्वार्थो के विरुद्ध नंगे स्वार्थ !

by दिसंबर 24, 2015
नंगे स्वार्थो के नंगे विरुद्ध स्वार्थ ! कोई सिद्धान्तों के साथ नही , कोई आदर्शो का अनुगामी नही । हर किसी की नजर राजनीति के छप्पर को फाड़क...Read More

मैं एक नारी हूँ

by दिसंबर 23, 2015
सिसकी सुनकर, किसी ने उससे कहा , तुम क्यों रोती हो, व्यर्थ में समय खोती हो , सहम कर बोली वह , अपनों की उपेक्षा की मारी हूँ , अपने ही घ...Read More

देश में सियासत

by दिसंबर 23, 2015
दोस्तों ,     देश में सियासत , नौकरशाह , पुलिस और माफिया का इतना मजबूत गठजोड़ तैयार हो चुका है कि इनकी जोड़ो में मठ्ठा डाल पाना आज के जम...Read More
by दिसंबर 23, 2015
दोस्तों ,        जीवन-आलेख की रेखा अजीब वक्र होती है उसकी गति मनमानी होती है । Read More

सत्ता बड़े बड़े निष्ठावानो को डिगा देती है

by दिसंबर 23, 2015
सत्ता बड़े बड़े निष्ठावानो को डिगा देती है  सत्ता बड़े बड़े निष्ठावानो को डिगादेती है और भृष्ट कर देती है वह सिद्धान्तों से भटका  देत...Read More

मजहब

by दिसंबर 23, 2015
दोस्तों ,           यह ठीक है कि मजहब हमारी चेतना का बहुत गहरा हिस्सा है , लेकिन इसके दुरूपयोग और किसी भी धर्म के उग्र पंथियों को इसके ...Read More

समाज की रचना

by दिसंबर 23, 2015
दोस्तों ,                दोस्तों हम एक ऐसे समाज की रचना में जुटे हुए है जहाँ साधनो की पवित्रता खत्म हो रही है और साध्य ही सब कुछ हो गय...Read More

मनुष्य का चरित्र

by दिसंबर 22, 2015
दोस्तों ,           मनुष्य का चरित्र एक श्वेत कागज की की तरह होता है एक बार यह कलंकित हो जाय तो इसका पूर्ववत उज्ज्वल होना काफी कठिन है । Read More

आज के युवाओं

by दिसंबर 22, 2015
दोस्तों ,            आजकल बारह महीनों में बारह तरीको से प्यार को अंजाम देने वाले युवा वर्ग को क्या होता जा रहा है पता नही ! टोका टोकी इस...Read More
by दिसंबर 22, 2015
दोस्तों ,      क्या बताए क्या गम मेरे अंदर है ,      कागज की सवारी और राह समन्दर है । Read More

वर्तमान लोकतन्त्र

by दिसंबर 22, 2015
वर्तमान लोकतन्त्र वर्तमान लोकतन्त्र में नेता और गुंडा चोली और दामन की भांति एक दूसरे के अविभाज्य अंग बन गये हैं ।यह निश्चित कर पाना अ...Read More

लड़ाया तो सब ने

by दिसंबर 22, 2015
लड़ाया तो हमे सबने लड़ाया तो हमे सबने , किसी ने अल्लाह के नाम पे लड़ाया , किसी ने राम के नाम पे लड़ाया , जो नही लड़े उन्हें दगाबाज क...Read More

दुनिया का मंजर

by दिसंबर 22, 2015
नंगी आँखों से जब देखा दुनिया  का मंजर नंगी आँखो से देखा जब हमने दुनिया का मंजर, मुख में बाणी थी मीठी मगर पीठ के पीछे था खंजर , आ...Read More

आम आदमी

by दिसंबर 21, 2015
जिस दिन हमारे देश के आम आदमी सुधर जायेगें । उस दिन इस देश में भष्ट्राचार फैलाने वाले नही रह पायेगें ।। Read More

एक तिनका ही सही

by दिसंबर 21, 2015
क्यों घुटन नैराश्य , कुंठा त्रास की बातें करे , एक तिनका ही सही विश्वास की बातें करे , आपका ये दो मुहाँ दर्शन समझ आता नही , ले सं...Read More
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